एक दरियाफ्त की थी
 कभी ईश्वर से
दे दो मुट्ठी भर आसमान
आज़ादी से उड़ने के लिए
और आज उसने
ज़िन्दगी का पिंजरा खोल दिया
और कहा ले उड़ ले .।

- दीप्ति शर्मा


Comments

Anonymous said…
nice
dr.mahendrag said…
aisha hi hota hae,jo n socho wah ho jata hae.
बहुत ही बढ़िया


सादर

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