कब कहती रूक जाऊँगी
मैं तुमको जो ना पाऊँगी
गहरे दरिया की मैं कश्ती
अकेले पार पा जाऊँगी ।
© दीप्ति शर्मा

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वाह...
क्या बात!!!

अनु

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