कब कहती रूक जाऊँगी
मैं तुमको जो ना पाऊँगी
गहरे दरिया की मैं कश्ती
अकेले पार पा जाऊँगी ।
© दीप्ति शर्मा
बस यूँ ही
डूब रहा सूरज वहाँ पीछे ओट लिए, और मैं एकटक देखती रही कि जैसे तुम छुप गये हो कहीं पीछे, लाल लालिमा में कैद मुस्कुराते से। #बसयूँही #दीप्तिशर्मा
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क्या बात!!!
अनु