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Showing posts from November, 2010

मुझे जाना होगा

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मुझे जाना होगा | कुछ दिन आप सब से दूर , पेपर हैं पड़ना है , कुछ याद है कुछ करना है, याद करने मुझे जाना है मुझे जाना होगा | डेढ़ महीने ही बात है अब तो ये मेरे हालात हैं कर नही सकती हूँ कुछ सोचती हूँ फिर आऊँगी लेकर भावनाएं  कुछ अपनी कुछ परायी  तो फिर मुझे जाना है  मुझे जाना होगा | दे दीजिये आशीष  और कामना कीजिये  सफल हो लौटू  अपनी इस जंग से इस जंग की खातिर  अब मुझे जाना है  मुझे जाना होगा | मैं पढ़  रही थी तभी मुझे याद आया की अब मैं  बहुत दिनों तक आप सब के साथ नही रह पाऊँगी मेरे पेपर हैं तो बेठे हुए यूँही  सोचते हुए कुछ पंक्तिया याद आई तो सोचा इसी तरह आप सबसे विदा लूँ  कुछ दिनों के लिए | जब तक पेपर ख़तम ना हो बस आपका आशीष मिल जाये  तो जल्द ही मिलना भी होगा | पर आप सब से अनुरोध है  की कभी भूल ना जाना आऊँगी मैं  लौटकर  मुझे याद रखना | - दीप्ति शर्मा 

इक तारा

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मैं इक तारा हूँ और  टूटकर बिखर गया हूँ | कभी चमका करता था , हँसता था आसमां मे , आज किसी की ख़ुशी के लिए  अपना वजूद खोकर  जमीं पर उतर गया हूँ , टूटकर बिखर गया हूँ | दे दिया है सब कुछ  पर मिला तो कुछ नही है , उसकी तमन्ना पूरी करने , आसमां से गिर गया हूँ , टूटकर बिखर गया हूँ | जब देखा था उसने  कुछ उम्मीद लिए मुझे , आंसू जो बह रहे थे उसके  उन आंसुओ की खातिर  मैं जमीं से मिल गया हूँ | टूटकर बिखर गया हूँ | - दीप्ति 

जिन्दगी

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उलझनों में जीती हुए मैं, जिन्दगी को तलाश रही हूँ| जगती हुई उन तमाम अडचनों के साथ मैं खुश रह जिन्दगी निखार रही हूँ | बेवजह की उस उदासी का जिक्र चला यादो की चादर से खुद को पहचान रही हूँ| गम भुला के दिल की उन उम्मीदों को दिल मे बसा तेरी यादों को ठुकरा रही हूँ | जीने की चाह मे आह को भूला चेहरे के तासुर  में गम छिपा जिन्दगी को तलाश रही हूँ | - दीप्ति